गोंदिया जिले से मंत्री पद की दौड़ में चर्चित चेहरे , फैसले को लेकर निगाहें प्रफुल्ल पटेल की ओर.....

  टी.आर.पी.न्यूज - मोहन पवार 

गोंदिया - चुनाव के बाद अब ने पुराने सारे विधायक अपने-अपने सोर्स भिड़ाकर मंत्रीपद की लालसा लिए आशा कर रहे है कि उन पर वरिष्ठजनों की नजरें इनायत हो जाए तो उनकी लाटरी लग जाएगी। 

   गोंदिया जिले की ही बात करे तो भाजपा के 03 और घड़ी के निशान पर एक उम्मीदवार चुनकर आया है।सबके  अपने-अपने दावे और तर्क भी है पर उन तर्को और दावों पर ध्यान देना न देना भाजपा के बड़े नेताओं पर निर्भर रहेगा।इसी कड़ी में एक बात तो निश्चित है कि यहाँ का मंत्री पद प्रफुल्ल पटेल की मर्जी से ही तय होगा।

       उपरोक्त 04 चेहरों में से एक की पकड़ ज्यादा मजबूत नजर आती है क्योंकि पहली बात तो यह कि वे  घड़ी के निशान पर चुनाव जीते है तभा महायुती के कोटे से ही सही  प्रफुल्ल पटेल उनका नाम मंजुर करवाने की क्षमता रखते है।

    दूसरे बड़े चेहरे के रुप में तिसरी बार विधायक बने विजय रंहागड़ाले है.जिनके साथ इस बार बेटे को खो देने की सहानुभूति लहर जुड़ी रही और इसी बात पर बड़े विरोध के बावजूद भाजपा ने उन पर दाँव लगाया तो मामला सध भी गया। उनके पक्ष मे मंत्री पद हेतु  पवार समाज का व्यक्त्ति होने का दावा है। यहां एक बात जो दबी जबान में बाहर आई है कि भाऊ तो अपने समाज के लोगों का ही ध्यान नहीं रखते इसलिए तो उनके मंत्री पद के लिए आज तक किसी ने भी किसी एक कागज पर उनके पक्ष में 04 लाईन तक न लिखी, भले ही उन्होंने तथाकथित पत्रकारों को लिखने हेतु प्रोत्साहित करने में कोई कसर न छोड़ी हो।  मीडिया हो या सोशल मीडिया के पत्रकार भी उनके और समाज के बारे में कितना ज्ञान रखते है और किसने क्या लिखा,इसका भी उन्होंने शायद कभी पता नहीं किया होगा।

      बहुसंख्यक समाज का एक मात्र प्रतिनीधि होने के नाते भी उनके दावे को मान्यता मिलनी तो चाहिए पर ?  पर यहां फिर प्रश्न सामने आता है कि क्या प्रफुल्ल पटेल की सहमति विजय रंहागड़ाले को लेकर बन पाएगी ? क्या वे अपने पार्टी के चुनाव चिन्ह पर जीते बड़ोले के अधिकार की बली दे पाएँगे ? उत्तर तो नहीं, ही होगा यह तय, मानने वालों की कमी नहीं है।इसी किंतु -परंतु के बीच पेंच फँस रहा है यह कहना और मानना सभी का है। 

    शेष दोनो विधायक भी इन दो वरिष्ठजनों के बीच कैसे अपनी दावेदारी पेश करे इसी असमंजस में है। इसलिए ये सभी मान रहे है कि मंत्री पद तो भाजपा भी बिना प्रफुल्ल पटेल की सहमति नहीं देने वाली।