त्वरित टिप्पणी- सत्ता का दूसरा केन्द्र गोंदिया -भंड़ारा जिलों में बनने नहीं देगें - प्रफुल्ल पटेल की जीद पूरीटी.आर.पी.न्यूज ,गोंदिया-- मोहन पवार
महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव के परिणामों के संदर्भ में गोंदिया-भंड़ारा जिलों को लेकर देखें तो यह चुनाव पूरी तरह प्रफुल्ल पटेल के मनोरथ को सिध्द करने वाला साबित हुआ है। नाना पड़ोले व गोपाल अग्रवाल को लेकर प्रफुल्ल पटेल के मन में यह बात तो अवश्य रही है कि ये दोनों किसी भी रुप में सत्ता का केन्द्र न बन पाए इसलिए कई बार परोक्ष रुप से इनके बारे में कुछ जरुर कहते रहे है।जब भी मौका लगा प्रफुल्ल पटेल के ही इशारे पर यहाँ के राजनैतिक समीकरणों को बदलने की स्थिती सामने आती रही है।
इतिहास गवाह पिछला विधान सभा चुनाव कैसे विनोद अग्रवाल के पक्ष में चला गया और इस बार भी विनोद अग्रवाल के पक्ष में खुलकर गोंदिया में भाजपा का परचम लहलहाने की नीति भाजपा के साथ मिलकर बनाई।
वहीं गोपालअग्रवाल की किस्मत पिर धोखा दे गई.जब -जब वे सत्ता में आने का प्र्यास करते, कहीं न कहीं उन पर प्रफुल्ल पटेल भारी पड़ते नजर आए।उसका उदा. जनता देख ही चुकी है।
ताजा उदा. तो यह है कि भाजपा को विश्वास में लेकर पूर्व मंत्री राजकुमार बड़ोले को अपनी पार्टी से लड़वाया और अब आज मिली जीत के आसरे उन्हें कम से कम किसी बड़े व महत्वपूर्ण मंत्रालय का प्रभार तो मिलेगा ही इसका महत्वपूर्ण कारण राजकुमार बड़ोले की भाजपा के साथ आज भी बनी हुई स्विकृति है।पाठको याद होगा की एक सभा में नीतिन गड़करी ने साफ-साफ भाजपा के मतदाताओं की तरफ इशारा करते हुए कहा था कि राजकुमार बड़ोले भाजपा के ही और हमारे कहने पर एन.सी.पी. से चुनाव लड़ रहे है।उसी दिन राजकुमार बड़ोले की जीत पर मुहर लग गई थी.साथ ही जितने वाले उम्मीदवीर को लेकर प्रफुल्ल पटेल की राजनीति सपल होने की बात साफ हो गई थी।
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